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परहेज़ पिचकारी से होगा .. पकवानों से नहीं !

dhairya
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रोहन से हमारी दोस्ती सालों पुरानी थी, शायद तब से, जब वह मेरे पड़ोस में रहने आया था। उसके पिता विदेश में नौकरी करते थे, भाई नोएडा में साॅफ्टवेयर इंजीनियर था, और रोहन का सपना राॅकस्टार बनकर दुनिया को अपनी धुन पर नचाने का था। हमारी काॅलोनी में होली का त्योहार बड़े ही नायाब तरीके से मनाया जाता था। हम एक-दूसरे को कई दिन पहले ही चुपके से रंगने की प्लानिंग करते थे, और होली से दो दिन बाद तक कोइ ऐसा चेहरा नहीं छूटता था, जो हमारी पिचकारी व गुब्बारे से कोरा या बेरंग बच निकला हो। वजह जो भी रही हो पर रोहन और उसका परिवार रंगों की इस सुहानी बौछार में कभी शामिल नहीं हुआ। शायद उनका जेहन और ज़मीर इसकी इजाज़त नहीं देता था !
हर साल होली के अगले दिन रोहन के पिता हमसे हाथ जोड़कर रंग न खेलने पर खेद जताते, और रोहन भी हम दोस्तों से साॅरी बोलकर पल्ला झाड़ लेता। पर हम भी किसी से ज़ोर-ज़बर्दस्ती का सौदा नहीं चाहते थे, अपनी खुशी के लिए दूसरों के रंग में भंग करना हमारी डिक्शनरी में शामिल नहीं था और होना भी नहीं चाहिए। होली पर बनने वाले तमाम पकवान, मिठाई व घरेलू स्नैक्स की हम पार्टी करते थे, और उसमें ऐसे लोगांे को चीफ गेस्ट इनवाइट करते थे, जिनकी दुनिया रंगों से कोसों दूर थी, जो होली के दिन अपने लिविंग रूम में छिप जाते थे, पर हमारी पहल पर वे होली स्पेशल डिशेज़ की पार्टी में ज़मकर शिरकत करते थे, गाते थे, थिरकते थे, बस उन्हें रंग फेंकने और भींगने-भिगोने से परहेज था। भारत में हर त्योहार पर कुछ अलग, कुछ नया खाने-खिलाने को है, जो बाज़ार और मिष्ठान भण्डारों का मौताज़ नहीं। होली पर जिन्हें रंग खेलने पर ऐतराज़ है, हम उनके सामने इन पकवानों को परोसकर भी उनकी खुशी दोगुनी कर सकते हैं, उन्हें मेहमानवाज़ी का बेहतरीन व स्वादिष्ट तोहफा दे सकते हैं।
खोवे की गोद में मैदे को समेंटकर बनने वाली ’गुझिया’ के स्वाद से हम सभी परिचित होंगे। एक ऐसा पकवान जिसके लिए आपकी जीभ हर वक्त, हर मौसम, तैयार रहती है। सूखे मावे की पर्त न सिर्फ इसे स्वादिष्ट बनाती है, साथ ही सेहत का भी भरपूर ख्याल रखती है। होली से कुछ दिन पहले ही घरों में गुझियों की खुश्बू महकने लगती है, और आने वाले ज़्यादातर मेहमानों की ख्वाहिश में यह शुमार रहती है। देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में चाश्नी में डूबी गुझिया बनाने का रिवाज़ है, जो मीठा पसंद करने वालों में बेहद लोकप्रिय भी है।
जिनके होंठों को मिठाई का चस्का है, उनका जी ललचाने के लिए ’लौकी के हलवे’ की भी अहम भूमिका हो सकती है। लौकी की छीलन व चाश्नी की मदद से बनने वाले इस पकवान से आप मेहमानों की जमकर वाहवाही लूट सकते हैं। काजू-पिस्ता से सजावट कर आप इसे खासा स्वादिष्ट और आकर्षक भी बना सकते हैं। बच्चों से लेकर बड़े भी इसे बेहद चाव से खाते हैं। लौकी जैसी हरी सब्जी से बना यह पकवान स्वाद और सेहत का पक्का दोस्त है। आपके गेस्ट आपकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे।
मीठे चटकारों की लिस्ट में अगला आॅप्शन मीठी मठरी भी शानदार और लाजवाब है। होली के खुशनुमा और रंगीन माहौल में जब आप धूप से तिलमिला रहे हों, तब मीठी मठरी भी आपको रिफ्रेश और कूल कर सकती है। इसे खाने के बाद आपका शरीर ठंडे पानी की डिमांड करता है, और पानी पीते ही गज़ब की ताज़गी महसूस होती है। मैदा और खोवे की यहां बड़ी भूमिका है, पर याद रखें बनाते वक्त शक्कर की मात्रा में कंजूसी न करें। होली के रंग से दूर भागने वालों को यदि आप अपने करीब और मुस्कराते हुए देखना चाहते हैं, तो उन्हें ये पकवान ज़रूर सर्व करें। सिर्फ रंग की ख्वाहिशों से उन्हें तंग न कर स्वादिष्ट पकवानों से उनका दिल जीतें, तभी वे इस रंगारंग त्योहार को मस्ती-मज़े के साथ इसकी गरिमा महसूस करे पाएंगे।
अब बात ऐसे मेहमानों की जो मीठा पसंद नहीं करते, उनके लिए भी बेहद लाजवाब और आकर्षक विकल्पों का भण्डार है। सबसे पहले बात ’नमकीन मठरी’ की, जिन्हें पूर्वीय क्षेत्रों में ’नमकपारा’ भी कहा जाता है। सड़क किनारे चाय की गुमटियों से लेकर नामी-गिरामी मिष्ठान भण्डारों में आपको नमकीन मठरियां डिब्बों में कैद मिल जाएंगी। चाय के साथ खासा पसंद की जाने वाली इस मठरी में मैदा और नमक का बड़ा योगदान है। मैदे में मौन की मात्रा इसका स्वाद ओर लचीलापन तय करती है। कभी-कभी नमक ज्यादा हो जाने पर बात बिगड़ जाती है, पर इस मठरी ने तमाम ऐसे ’मठरीप्रेमी’ पैदा किए हैं, जिन्हें ब्रेकफास्ट के वक्त हर हाल में इसका स्वाद लेना ही है। नमकीन लिस्ट में यह आपके बजट और स्वाद दोनों का ख्याल रखती है।
दही-कांजी बड़ा की बात यदि होली के वक्त न की जाये तो साफ बेइमानी होगी। हर घर में होली के दौरान दही बड़ों की प्लेटें सजती हैं, और डाइनिंग टेबल में चार चांद लगाती हैं। मूंग की दाल को लड्ढूनुमा आकार में लाकर इसे दही-मट्ठे से नहला दिया जाता है, और नमक-मिर्च-मसाले का संगम इसे स्वादिष्ट और सेहतमंद डिश की शक्ल देता है। स्वाद-वैरायटी पसंद लोग इसे खट्टी-मीठी चटनी के साथ खूब चाव से खाते हैं। खाने की प्लेट में यह बेहद सजावटी और स्वादिष्ट व्यंजन हो सकता है, जो आपके त्योहार की खुशी को और बढ़ा देगा। मेहमानों के लिए यह बेस्ट आॅप्शन हो सकता है।
अब बात दो ऐसी चीज़ों की जिसे सुनकर मुंह में पानी आ ही जाता है। खस्ता-कचैड़ी और मैदा पापड़ी। चाट के ठेलों पर हर शाम इसके लिए भीड़ सजती है। चटकारा-मिर्च पसंद करने वाले इसके डाइहार्ड फैन हैं। डाइनिंग टेबल पर आप इसे नाश्ते में भी सर्व कर सकते हैं, और नाराज़ मेहमानों को खुश कर उन्हें अपना बना सकते हैं। कचौड़ी में दाल भरें या आलू दोनों, ही स्वादिष्ट और सेहतमेंद हैं। तेल की मात्रा संतुलित हो, साथ में सोंठ में डूबी चम्मच हो, तो मज़ा और भी बढ़ जाता है। यह आॅप्शन सिर्फ होली ही नहीं, हर त्योहार, यहां तक कि हर दिन के लिए बेस्ट है।
खाने की बात सिर्फ दो-एक पन्नों में समेंटना मुश्किल है, पर पकवानों की चुनिंदा लिस्ट में ये लोकप्रिय और सदाबहार आइटम, इस रंगीले उत्सव में स्वाद और सेहत का खजाना हैं। नमकीन-मीठे का यह अतुलनीय संगम आपको अंदर से खुश और स्वस्थ्य तो बनायेगा ही, साथ ही उन लोगों को भी करीब लाने में मदद करेगा, जो रंगों की बौछार में छिप जाते हैं। भले ही आपकी पिचकारी की धार उन पर न पड़े पर आपके पकवानों के स्वाद के वे मुरीद हुए बिना नहीं रह पाएंगे। चटकारा और मिठास को प्लेट में सजाकर भी दिल और मन जीता जा सकता है, ज़रूरी नहीं इसके लिए सिर्फ हुड़दंग का ही सहारा लेना पड़े। रोहन और उसके परिवार की तरह यदि आपका भी कोई करीबी पिचकारी-गुब्बारे की भीगी होली से दूर रहना चाहता है, तो आप भी उन्हें करीब लाने के लिए इन घरेलू पकवानों का रास्ता अपना सकते है। यकीन मानिए, ज़ोर-जबर्दस्ती से रंग फेंककर हम खुद तो कुछ देर खिलखिला लेंगे पर दूसरों के दिल पर लगी ठेस शायद लगी ही रह जाये। घरेलू पकवानों से उन्हें भी इस त्योहार का एहसास कराएं, और उनके दिल में अपनी जगह हमेशा के लिए पक्की कर लें।

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