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मेहमानों को नौंचती दुष्कर्म की दीमक

dhairya
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भोली-भाली गोरी चमड़ी आज से कुछ सालों पहले सुविधाओं की एवज़ में ज्यादा रुपए एंठने जैसी छिटपुट शिकायतें ही किया करती थी, पर बीते कुछ सालों से इस देश में उसकी अपनी आबरू भी लुटने लगी है। है। अतिथि देवो भवः को भले ही हमने अपनी संस्कृति और विचारों की ’टैगलाइन’ बना रखा हो, पर असल में इस मंत्र को कुछ कुकर्मियों व बुरी नीयत वालों ने कुचल-मसल दिया है।

वे भारत को देवभूमि मानकर यहां आते हैं, वे यहां की इमारतों का इतिहास समेंटने, सहेजने और संजोने आते हैं, और शायद वे यहां की संस्कृति और सभ्यता में गोता लगाने की ख्वाहिशें लेकर भी इस 120 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए अपना देश छोड़कर हंसते-मुस्कराते चले आते हैं। सात समंदर पार से भारत आने वाली गोरी चमड़ी पिछले कुछ सालों से यहां बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों से तिलमिला रही है। अतिथि देवो भवः को भले ही हमने अपनी संस्कृति और विचारों की टैगलाइन बना रखा हो, पर असल में इस मंत्र को कुछ कुकर्मियों व बुरी नीयत वालों ने कुचल-मसल दिया है। पिछले दिनों दतिया में स्विट्ज़रलैंड की महिला से हुआ रेप इस बात की ओर इशारा है कि देश की संप्रभुता और सम्मान खतरे में है। भारत के लिए विश्वगुरु का जो सपना यहां के विद्वानों ने देखा था, थोक के भाव घट रहीं रेप जैसी रूह कंपा देने वाली वारदातों ने उसे चूर-चूर कर दिया है। सुरक्षा, सम्मान और संस्कार की एक बड़ी बहस ने सिर उठा लिया है, जहां सिर्फ नारी की आबरू का ही सवाल नहीं, मेहमानों की इज्जत और सुरक्षा भी दांव पर लगती नज़र आ रही है।
बीते कुछ सालों में विदेशी महिलाओं की आबरू ही नहीं लुटी, बल्कि उन्हें जान से भी हाथ धोना पड़ा। 2010 के गणतंत्र दिवस पर उत्तरी गोवा के अरंवल बीच पर नौ साल की रसियन लड़की को अज्ञात कुकर्मी ने हवस का शिकार बनाया, बच्ची इतना घबरा गई थी, कि दोषी की पहचान तक नहीं हो पाई। 6 अप्रैल 2010 को बोध गया के पास 25 वर्षीय जापानी महिला के साथ पांच लोगों ने क्रूरता से गैंगरेप किया, और कानून की दांव-पेंच से साफ बचकर निकल गए। जनवरी 2011 में ही एक विदेशी महिला ने भारतीय पुरुष मित्र पर बलात्कार का संगीन आरोप लगाया, आरोपी युवक शादी का झांसा देकर महीनों महिला के साथ रेप करता रहा। दरअसल विदेशी सैलानियों को कई बार यहां के प्राइवेट ड्राइवर और गाइड से भी बलात्कार जैसे जुर्म सहने पड़े हैं, कारणों पर प्रकाश डाला जाये तो सीधे-सादे टूरिस्ट अंजान शहर में अंजान लोगों पर विश्वास कर लेते हैं, और फिर विश्वासघात के शिकार बनते हैं। 5 अप्रैल 2012 को राजधानी दिल्ली के पहाड़गंज में विदेशी महिला की हत्या कर शव फेंक दिया गया। जांच में हुए रेप के खुलासे ने सियासत समेत जनता के भी कान खड़े कर दिए थे। मसलन संसद में इस मुद्दे पर हुक्मरानों ने एकमत होकर चर्चा करना भी ज़रूरी नहीं समझा।
अभी से कुछ सालों तक विदेशी टूरिस्ट भारत में मूल्य से अधिक पैसा एंठ लेने जैसी छिटपुट शिकायतें ही किया करते थे, पर आधुनिकता के साथ हाइटेक हुए अपराधियों ने अब उनकी इज्जत पर भी हाथ साफ करना शुरु कर दिया है, जो कि देश और उसकी छवि के लिए कभी न धुलने वाला धब्बा हैं। दूर देश से अपना घर-परिवार-दोस्त-रिश्तेदार छोड़ कर आये पीडि़त सैलानी यदि अपने साथ हुए अपराधों के एवज़ में न्याय की आस भी लगाएं, तो यह उनका बेहद मुश्किल कदम साबित होता हैं। भारतीय अदालतों में लंबित मामले, पुलिस-कचहरी के चक्कर में उलझना, पीडि़त परदेसियों के लिए टेढ़ी खीर तो है ही साथ ही धीमी न्यायिक प्रक्रिया भी ज़ख्मों पर नमक छिड़कती दिखाई देती है।
नवंबर 2012 में मायानगरी मुंबई में एक स्पेनिश महिला का बलात्कार मामला वहां से सटे इलाकों में सनसनी का विषय रहा, पर आखिरकार दोषियों का बच निकलना शासन और प्रशासन पर सवालिया निशान लगा गया। 30 जनवरी 2013 को चीनी महिला को पहले एक भारतीय नागरिक ने दास्त बनाया, फिर उसकी आबरू से खेलकर देश का सिर शर्म से झुका कर फरार हो गया। इन मामलों में यदि संबंधित विदेशी सरकार और दूतावास कड़ा रुख न अपनाएं, तो बात और ज्यादा हद तक बिगड़ जाये। बीते दिनों दतिया आये स्विटज़रलेंड के दंपत्ति, रात होने पर एक गांव में कैंप बनाकर ठहरे थे, जिन पर पांच-छह दरिंदों ने हमला बोल दिया। महिला के साथ गैंगरेप जैसी भयानक घटना को अंजाम देकर न सिर्फ वे पुलिस-सुरक्षा की कलई खोल गए, साथ ही एक विदेशी मेहमान और देश की संस्कृति का भी गला घौंट गए। फिलहाल मामले पर स्विटज़रलेंड के कड़े रुख और मीडिया प्रेशर की बदौलत मध्यप्रदेश सरकार ने आनन-फानन जांच-पड़ताल शुरु की है। आंकड़ों के कैलेंडर में झांकें तो देश में सबसे ज्यादा बलात्कार म.प्र. में ही दर्ज दिखाई पड़ते हैं।
साल दर साल बढ़ रहे मेहमानों पर दुष्कर्म के इन गंभीर मामलों पर रोक की उम्मीद सिर्फ सरकार या प्रशासन पर ही छोड़ देना असल में बेइमानी होगी। हमें तमाम समाजिक सरकारी व गैरसरकारी संगठनों की मदद लेकर कैंपेनिंग व जागरुकता अभियान चलाने होंगे, हमें गला फाड़कर संदेश देना होगा कि मेहमानबाज़ी आज भी भारत में उसी स्तर पर है, जैसे सपने सालों पहले यहां के महापुरुषों ने देखे थे। कानून को सख्त करने की पहल में हमें तमाम कानूनविदों की मदद से फाॅरेन मामलों के फास्ट्रैक कोर्ट खड़े करने होंगे, जो मामले का निष्पक्ष और त्वरित निपटारा कर सकें। विदेशी दूतावासों को खासतौर पर सरकार से विदेशी मेहमानों की सुरक्षा का जि़म्मा सुनिश्चित करवाना होगा। मामलों के दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की आवाज़ बुलंद करनी होगी।
विदेशी सैलानियों के लिए सरकारी गाइड, ड्राइवर व सहायकों की भर्ती करनी होगी, जिनका पूरा ब्यौरा व लेखाजोखा सम्बंधित कार्यालयों में मौजूद हो। फाॅरेन इमर्जेंसी हेल्प लाइन का गठन कर, ऐसी वारदातों पर लगाम कसनी होगी, और परदेशी परिवारों को भरोसा देना होगा, कि देश में अब भी संस्कृति, सभ्यता और सुरक्षा मौजूद है। विदेशी सैलानियों को सिर्फ महंगे ट्रांस्पोर्टेशन दे देने से, हम अपनी जि़म्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते, उस ट्रांस्पोर्टेशन में सिक्योरिटी और 24बाइ7 हेल्पलाइन जैसे फीचर्स भी उपलब्ध कराने होंगे। यदि जल्द ही इन सात समंदर पार के मेहमानों को सुरक्षा और सहूलियत नहीं दी गई, तो वह दिन दूर नहीं, जब हम मेहमानवाज़ी की वह विरासत भी खो देंगे, जो महापुरुषों ने बड़ी सिद्धत से इतने युगों में बनाई-बसाई थी।

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