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…. मैं तेरे ज़ख्मों को refresh करता चला गया !

dhairya
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मेरे प्रिय लैपटाॅप,
पता है, जिस दिन मैंने पहली बार तुम्हें छुआ था, तो डर रहा था कि कहीं तुम पर स्क्रैच न आ जाएं। काॅलेज से लौटकर मैंने तुम्हें हाॅस्टल की कवर्ड मंे रखा तो बड़े ध्यान से, प्यार से और सावधानी से भी। कुछ दिन तक मैंने तुम्हारी घर आये दूर के एक अमीर मेहमान की तरह देखभाल की, फिर जैसे-जैसे वक्त का फांवड़ा, एक्साइटमेंट की मिट्टी को समेंटता गया, मैंने तुम्हारे हार्डवेयर और साॅफ्टवेयर में सिमटे जिस्म को पुचकारना छोड़ दिया। मुझे तुम्हारे अंदर सिर्फ कुछ बटन और खोखला कंकाल नज़र आने लगा। जब गाने सुनने, पिक्चर देखने या चैटिंग करने का मन होता, तो तुम्हारी आंख जैसी स्टार्ट बटन को अंगूठे से भींच देता, बटन दबाते ही तुम 30-40 सेकंड अंगड़ाइयां लेते, फिर वेलकम बोलकर झपाक से खुल जाते। तुम्हारे पेट पर (जिसे दुनिया ट्रैकपेड बोलती है,) मैं उंगलियों से गुदगुदी करता और मानो तुम मुझसे खीझकर, खिलखिलाकर उन इमारतों (कंप्यूटर प्रोग्राम्स) में मुझे भेज देते, जहां मुझे जाना हेाता।
कभी-कभी तो मैं तुम्हारी खुराक देना, (रिफ्रेश करना) भी भूल जाता था, कुछ समय पहले मेरे शरारती हाथों ने एफफाइव बटन जो कुचल डाली थी। क्या नहीं किया तुमने मेरे लिए ..? मेरे लिखे हर एक रद्दी-शानदार लेखों को तुमने सहेजकर रखा, मेरे पसंदीदा वीडियो-एमपीथ्री कलेक्शन भी तुम किसी धोबी के गधे की तरह ढोते रहे। कभी तुम्हारे दिल की दीवार पर गेम खेला गया तो कभी तुम्हारी मेमोरी को कुआं समझकर धुआंधार डाउनलोडिंग हुई। तुमने एक बार भी मुझे अपने एहसानों का एहसास नहीं करवाया। कई बार तो मैंने तुमसे व्यवहार भी कमाया, किसी भी साथी को ज़रूरत पड़ी तो बिना तुमसे सवाल-जवाब किए उसे थमा आया। उस शख्स ने तुम्हें कैसे ट्रीट किया ..? कैसे तंग किया .. एक बार भी तुमने मुझे उलाहना नहीं मारा। यहां तक कि रात-आधीरात भी जब मन किया तो मैंने बिना इजाज़त लिए तुम पर ’चढ़ाई’ कर दी।
कभी तुम्हारे जिस्म में कांटों जैसी पेन ड्राइवें चुभोईं, तो कभी वायरसफुल सीडियों से तुम्हारी नसों-मांसपेशियों को छलनी किया। जब तुमने काम करते वक्त अपनी बीमारी (अनऐक्सपेक्टिड शटडाउन) का जि़क्र मुझसे किया, तो मैंने तुम पर खूब ताने कसे और न जाने क्या-क्या अनाप-शनाप बोला। तुम्हारी बीमारी दूर करने को हमेशा फ्री वाले डाॅक्टर्स (ट्राॅयल वजऱ्न एंटीवायरस) बुलवाये, । कभी भी किसी बड़े सर्जन (पेड एंटीवायरस) को तुम्हारी सेहत सुधारने के लिए नहीं बुलवाया।
मुझे नहीं पता कि तुम मुझे माफ करोगे या नहीं पर आज जब तुम आईसीयू (सर्विस सेंटर) में हो तो मैं तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूं। काश ! तुम जल्दी ठीक हो जाओ, इस बार मैं तुम्हें कभी भी तंग नहीं करूंगा। तुम्हें आॅन करके नहीं छोड़ा करूंगा। हर संडे तुम्हारा स्पेशल चैकअप (वायरस स्कैन) किया करूंगा। बेवजह कोई भी जहरीला इंजैक्शन, (वायरस फुल ड्राइव्स एंड सीडी )नहीं लगाउंगा। तुम्हारे चेहरे पर प्रोटेक्शन कवर (लैमिनेशन पेपर) लगाकर इस दुनिया की कोई भी ’गंदगी’ को तुम तक पहुंचने से रोकूंगा। तुम्हारे हाथ और शरीर (कीबोर्ड) पर भी अब ज़रा सी भी चोट (बटन डेमेज) नहीं आने दूंगा।
जब तुम अस्पताल (सर्विस सेंटर) से लौटोगे तो तुम बहुत खुश होगे क्योंकि पता है, मैंने तुम्हारे लिए कुछ खिलौने लिए हैं, एक कूलिंग पैड, पेन ड्राइव कन्नेक्टर, और हां, एक मेकअप बाॅक्स (क्लीनिंग किट) भी। अब मैं तुम्हें कभी इग्नोर नहीं करूंगा। आखिर तुम्हारी हार्ड डिस्क और रैम में मेरी फीलिंग्स और इमोशंस का कार्बन जो चिपका हुआ है।

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