dhairya
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उत्तर प्रदेश-राजनीति के इतिहास में अरसे से जमे व रमे सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव लोकतंत्र की किताब सम्भवतः जल्दबाजी से पढ़ते चले आये हैं तभी शायद उन्होेंने देश के शीर्ष पद के लिए वोट डालने में भी जल्दबाजी की। गलती से पी.ए. संगमा को वोट देकर उन्होंने ना सिर्फ अपनी पद-गरिमा का मज़ाक बनाया बल्कि बाद में बैलेट फाड़ प्रणब दा के पक्ष में वोटिंग कर लोकतंत्र को भी धता बता दिया। हालांकि हमारे यहां चुनाव आयोग की निष्पक्षता की प्रशंसा की जानी चाहिए जिसने बाद में मुलायम का वोट रद कर दिया, वरना इस एक छोटी पर अहम भूल के लिए संविधान तक में संशोधन करना पड़ सकता था, आखिर है तो सत्ता की ही खनक।
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