- 53 Posts
- 314 Comments
अभी जन्मतिथि मामले की तिथि ज्यादा दूर नहीं निकली थी कि जनरल वीके सिंह ने भारतीय सेना में राजनीति का एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया । 14 करोड़ रिश्वत की पेशकश, पूर्व ले जं तेजिंदर सिंह पर आरोप और सेना शकित कमजोर जैसे तीन गंभीर तीर छोड़कर सेनाध्यक्ष ने सियासी गलियारों में हड़कंप सा मचा दिया है। सेवानिवृतित से देा महीने पहले की गर्इ जनरल की संगीन टिप्पणियां सवाल तो खड़े करतीं ही हैं बलिक भारतीय सेना और राजनीति की थू-थू भी करवा रहीं हैं। आखिर क्या एसी वजह रही कि सालों पहले किसी ने जनरल को इतनी बड़ी रकम का लालच दिया और उन्होंने सिर्फ बातों बातों में रक्षा मंत्री के कान में यह बात डाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया। फिर ना तो मंत्री ने और ना ही जनरल ने ही कोर्इ ठोस कदम उठाया। हालांकि सिंह ने पीएम को हाल ही में एक चिठठी में टाटा्र ट्रकों में हुए घोटाले और सैन्य शकित को पड़ोसी देशों से कमजोर बता कर राजनीतिज्ञों और आम आदमी के कान खड़े कर दिए हैं पर क्या सेना के उच्चाधिकारी से इस तरह की दकियानूसी बयानबाजी की उपेक्षा की जा सकती है। क्या वाकर्इ भारतीय सेना में बगावत का घुन लगने जा रहा है। आरोप – प्रत्यारोप से मुशिकलों का हल निकलना होता तो विवाद कब का सुलझ गया होता। एक तरफ मीडिया लोगों को परोस रहा है कि भारत सैन्य सामानों को खरीदने में अव्वल साबित हुआ है पर सेनाध्यक्ष की मानें तो सेना के पास दुश्मनों का सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी है। यही कुछ बातें हैं जो आम जनता के दिलों में हरकत पैदा कर रहीं हैं। हालांकि थल सेना में उठ रहे चक्रवात को थामने के लिए सरकार ने आर्इबी और सीबीआर्इ की मदद लेना ही उचित समझा है। पर इतना तो साफ है कि बि्रक्स सम्मेलन में आए अतिथियों ने खूब ढंग से समझा होगा कि भारत आज कल कैसे करवटें बदल रहा है और यदि एकाध हफते तक विवाद नहीं सुलझ पाया तो पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी भी इसी मुधे पर दिल में ठंडक महसूस करेंगे जो अजमेर की यात्रा पर भारत दौरे पर आ रहे हैं।
मयंक दीक्षित
सादा नागरिक।
Read Comments